हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا إِن تُطِيعُوا الَّذِينَ كَفَرُوا يَرُدُّوكُمْ عَلَىٰ أَعْقَابِكُمْ فَتَنقَلِبُوا خَاسِرِينَ या अय्योहल लज़ीना आमनू इन तोतीऊल लज़ीना कफ़रू यरुद्दूकुम अला आक़ाबेकुम फ़तंक़लेबू खासेरीना (आले-इमरान, 149)
अनुवाद: हे विश्वासियों! यदि तुम अविश्वासियों की बात मानोगे तो वे तुम्हें (अविश्वास की ओर) लौटा देंगे और तुम बड़े नुकसान के साथ लौटोगे।
क़ुरआन की तफसीर:
1️⃣अविश्वास अपनाने वालों का धार्मिक समुदाय को अपने पीछे चलने के लिए बाध्य करने का प्रयास।
2️⃣ अल्लाह तआला पर विश्वास करने वाले समाज को काफिरों की साजिशों और धोखे से सावधान करना।
3️⃣ ईश्वरीय धर्म मनुष्य और समाज की उन्नति और उत्थान का मार्ग हैं।
4️⃣ अविश्वास, धर्मत्याग और ईश्वर की अवज्ञा, पीछे मुड़ना है।
5️⃣ मुकरना मोमिन कौम का काफिरों के पीछे चलने का नतीजा है।
6️⃣ मोमिनों की क़ौम से तौबा करना, मुँह मोड़ना और काफ़िरों की पैरवी करना घाटे और नुक्सान का सौदा है।
7. ओहोद की लड़ाई में मुसलमानों की हार काफिरों और पाखंडियों के भ्रामक प्रचार के फैलने का कारण बनी।
8️⃣वापसी उन पाखंडियों का अनुसरण करने वाले विश्वासियों का परिणाम है जो अब्दुल्ला बिन अबी जैसे धर्मत्याग को आमंत्रित करते हैं।
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तफ़सीर राहनुमा, सूर ए आले-इमरान